रविवार, 22 मई 2011

घायल भारत माता

घायल भारत माता -
" ''   मैं भी गीत सुना सकता हूँ शबनम के अभिनन्दन के मैं भी ताज पहन सकता हूँ नंदनवन के चन्दन के लेकिन जब तक पगडण्डी से संसद तक की राह है जब तक केवल गीत लिखुंगा जन गन मन के क्रंदन के |....2 जब पंछी के पंखों पर हों पहरे बम्ब के गोली के जब पिंजरे में कैद पड़े हों सुर कोयल की बोली के जब धरती के दामन पर हो दाग लहू की होली के कोई कैसे गीत सुना दे बिंदिया कुमकुम रोली के....2 मैं झोपड़ियों का तारा हूँ आंसू गाने आया हूँ घायल भारत माता की तस्वीर दिखने आया हूँ |......2 अन्धकार में समा गए जो तूफानों के बीच जले मंजिल उनको मिली कभी जो चार कदम भी नहीं चले क्रांति के आलम सोये पड़े हैं गुमनामी की बाँहों में गुंडे तस्कर तने खड़े हैं राजमहल की राहों में यहाँ शहीदों की पावन गाथाओं को अपमान मिला......2 डाकू ने खादी पहनी तो संसद में सम्मान मिला |.....2 राजनीति में ''लोहपुरुष'' जैसा "सरदार" नहीं मिलता लाल बहादुर जी जैसा कोई किरदार  नहीं मिलता ऐरे गैरे  नथु खैरे संत्री बनकर बैठे हैं जिनको जेलों में होना था मंत्री बनकर बैठे हैं |........2  लोकतंत्र का मंदिर भी लाचार बनाकर डाल दिया कोई मछली बिकने का बाज़ार बना कर डाल दिया....2 अब जनता को संसद भी प्रपंच दिखाई देती है नौटंकी करने वालों का मंच दिखाई देती है .....2 पंचाली के चीर हरण पर जो चुप पाए जाते हैं इतिहासों के पन्नों में वे सब कायर कहलाते हैं |...2 कहाँ बनेंगे मंदिर मस्जिद कहाँ बनेगी राजधानी मंडल और कमंडल पी गए सबकी आँखों का पानी प्यार सिखाने वाले कबके मज़हब के इस्कूल गए इस दुर्घटना में हम अपना देश बनाना भूल गए कहीं बमों की गरम हवाएं और कहीं त्रिशूल जले साँझ चिरैया सूली टंग गए पंछी गाना भूल चले आंख खुली तो बोला भारत नाखूनों से कष्ट मिला जिसको जिम्मेदारी दी वो घर भरने में व्यस्त मिला.....2 क्या ये ही सपना देखा था भगत सिंह की फाँसी ने जागो राजघाट के गाँधी तुम्हे जगाने आया हूँ घायल भारत माता की तस्वीर दिखने आया हूँ |......2  जो अच्छे सच्चे नेता हैं उन सबका अभिनन्दन है उनको सौ-सौ बार नमन है मन प्राणों से वंदन है वे सच्चे मन से भारत माँ की सेवा कर सकते हैं हम उनके क़दमों में अपने प्राणों को धर सकते हैं लेकिन जो कुर्सी के भूखे दौलत के दीवाने हैं सात समंदर पार तिजोरी में जिनके तहखाने हैं जिनकी प्यास महासागर है भूख हिमालय पर्वत है लालच कौरा नील गगन है दो कौड़ी की इज्ज़त है इनके कारण ही बनते हैं अपराधी भोले भाले

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